अल्‍जाइमर्स और एंजाइटी में संगीत करता है फायदा

अल्‍जाइमर्स और एंजाइटी में संगीत करता है फायदा

भारत में साल 2050 तक अल्‍जाइमर्स रोगियों की संख्‍या तीन गुणा हो जाने की आशंका है

बढ़ती उम्र के साथ याद्दाश्‍त कम होने की बीमारी डिमेंशिया के मरीजों की संख्‍या भारत के साथ-साथ दुनिया में भी बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही इसके इलाज को लेकर नए-नए तरीके भी खोजे जा रहे हैं। हालांकि इस स्थिति का कोई सटीक इलाज नहीं है मगर शोधकर्ताओं का कहना है कि अल्‍जाइमर्स के इलाज में वैकल्पिक विधियां ज्‍यादा कारगर हो सकती हैं।

अब उटाह विश्‍वश्विद्यालय के शोधकर्ताओं ने साबित किया है कि संगीत से डिमेंशिया के मरीजों को लाभ हो सकता है। इन शोधकर्ताओं का कहना है कि संगीत आधारित इलाज से डिमेंशिया के मरीजों में एंजाइटी को कम करने में मदद मिलती है। संगीत मस्तिष्‍क के उस मुख्‍य हिस्‍से पर असर डालता है जो अब भी अपेक्षाकृत सक्रिय होता है। संगीत मस्तिष्‍क को सक्रिय कर उसके अलग अलग नेटवर्क के बीच संपर्क को बढ़ाता है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि अल्‍जाइमर्स के कारण लोगों में याद्दाश्‍त की गंभीर समस्‍या हो जाती है और ये बीमारी मस्तिष्‍क की गतिविधियों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इसके कारण मरीजों में एंजाइटी और आत्‍मविस्‍मृति की स्थिति पैदा होती है मगर संगीत कई मरीजों में लाभदायक साबित हुआ है। दरअसल संगीत से तनाव में कमी आती है और इससे एंजाइटी और अवसाद भी दूर होता है। धीमा संगीत स्‍वभाव की उग्रता को कम कर देता है। संगीत सिर्फ अल्‍जाइमर्स के रोगियों में ही नहीं बल्कि उनकी देखभाल करने वालों में भी एंजाइटी और परेशानी को कम करता है। ये लोगों के मूड को हलका करता है और अपने करीबी लोगों के साथ नजदीकी को भी बढ़ाने में मदद करता है। संगीत को हम ऐसा तत्‍व मान सकते हैं जो मरीज को वास्‍तविकता के धरातल पर लाने में मदद करता है।

संगीत के अलावा और क्‍या है लाभयदायक

डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि भारत में बुजुर्गों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है जिनमें से करीब सोलह लाख लोग अभी अल्‍जाइमर्स से पीड़ित हैं और 2050 तक यह संख्‍या तीन गुनी हो जाने की आशंका है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम लगातार ऐसी गतिविधियों में लिप्‍त रहें जो हमारे दिमाग को सक्रिय बनाए रखें। खासकर 40 साल की उम्र पार कर चुके लोगो के लिए ऐसी गतिविधियों में लिप्‍त होना और जरूरी है। क्रॉसवर्ड पहेली, सवाल-जवाब, रोज कुछ पढ़ना और ऐसी ही कोई गतिविधि जिसमें आपकी दिलचस्‍पी हो उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। ज्‍यादा बड़ी उम्र के लोगों को सामाजिक क्रियाकलापों में भागीदारी बढ़ाकर और व्‍यायाम के जरिये अपने दिमाग को सक्रिय रखना चाहिए।

कुछ टिप्‍स

  • शरीर का वजन न बढ़ने दें, कमर के घेरे को नियंत्रण में रखें

  • भोजन को संतुलित रखें। विटामिन युक्‍त और विभिन्‍न रंगों वाली सब्जियों और फलों को भोजन में शामिल करें। संपूर्ण अनाज, मछली, पोल्‍ट्री उत्‍पाद, टोफू, बीन्‍स आदि प्रोटीन युक्‍त भोजन ज्‍यादा लें। मीठा, सोडा, सफेद ब्रेड, सफेद चावल आदि अस्‍वास्‍थ्‍यकर भोजन हैं जिन्‍हें कम से कम मात्रा में लें। ज्‍यादा वसा और चिकनाई वाले फास्‍ट फूड से दूर ही रहें।
  • नियमित रूप से व्‍यायाम करें। सप्‍ताह में ढाई से पांच घंटे तक तक का व्‍यायाम जरूर करना चाहिए। अगर पैदल चलते हैं तो चार मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने का प्रयास करें।
  • शरीर के जरूरी नंबरों पर निगाह बनाए रखें। मसलन कोलेस्‍ट्रोल, ब्‍लड प्रेशर, ब्‍लड शुगर, कमर का घेरा आदि नंबरों को निर्धारित पैमाने के अंदर रखने से बहुत मदद मिलेगी।
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